Kaal Bhairav Ashtakam in Hindi or Kalbhairavashtak – कालभैरवाष्टकम् 

कालभैरवाष्टकम् (Kālabhairava Ashtakam) भगवान शिव के उग्र रूप कालभैरव की स्तुति में किया जाने वाला एक संस्कृत स्तोत्र है. ऐसा माना जाता है कि इसकी रचना आदि शंकराचार्य ने की थी. आइए, इसके बारे में थोड़ा और जानते हैं:

कालभैरव को भैरव या क्षेत्रपाल के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें हिंदू धर्म में एक उग्र लेकिन न्यायप्रिय देवता माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि वह पिशाचों और भूतों के राजा हैं और उनका निवास स्थान काशी (वाराणसी) है।

अष्टकम् (Ashtakam) का क्या अर्थ है?

अष्टकम् का अर्थ है “आठ श्लोकों का समूह”. सामान्यतः अष्टकम् किसी देवता की स्तुति में होता है, जिसमें आठ श्लोक उनके गुणों का वर्णन करते हैं. हालाँकि, कालभैरवाष्टकम् में नौ श्लोक हैं, फिर भी इसे अष्टकम् ही कहा जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि नौवें श्लोक में स्तोत्र के फल (फलश्रुति) का वर्णन होता है.

भक्त कालभैरवाष्टकम् का पाठ करके भगवान कालभैरव को प्रसन्न कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके पाठ करने से ज्ञान, मुक्ति, पुण्य की प्राप्ति होती है, साथ ही शोक, मोह, दरिद्रता, लोभ, क्रोध और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

कालभैरवाष्टकम्

देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥१ ॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥२ ॥

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥३ ॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥४ ॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥५ ॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥६ ॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥७ ॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥८ ॥

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं
प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥९ ॥

इथि श्रीमास्चंकराचार्य विरचितं कालभैरवाष्टकम् सम्पूर्णम ||

कालभैरवाष्टकम् का महत्व

कालभैरवाष्टकम् का पाठ करना कालभैरव को प्रसन्न करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इसके पाठ से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • ज्ञान और मुक्ति की प्राप्ति
  • भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति
  • शोक, मोह, दरिद्रता और क्रोध से मुक्ति
  • पापों का नाश
  • अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति
कालभैरवाष्टकम् Kaal Bhairav Ashtakam lyrics image

काल भैरव की पूजा पूरे भारत में की जाती है, और उन्हें विभिन्न नामों से जाना जाता है। उन्हें दक्षिण भारत में शास्ता के रूप में जाना जाता है, और महाराष्ट्र में खंडोबा के रूप में उनकी पूजा की जाती है।

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काल भैरव अष्टकम को आप सुन भी सकते हैं। इंटरनेट पर विविध स्रोत पर आपको यह सुनने को मिल जाएगा हमने नीचे यूट्यूब में सचेत और परंपरा नाम के गायक है जिन्होंने काल भैरव अष्टकम गाया है उन्हें रखते हैं।

काल भैरव अष्टकम का पाठ किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जो भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करना चाहता है।

काल भैरव अष्टकम का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन शनिवार का दिन विशेष रूप से उत्तम माना जाता है।

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